एक्टिव फंड या पैसिव फंड कौन सा होगा बेहतर?

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आप में से कई नए निवेश हैं और कई बहुत पुराने, यकीनन आपके पोर्टफोलियो में लाखों-करोड़ों होंगें, बढ़िया रिटर्न बन रहा होगा और आप खुश होंगें, परन्तु अगर आपसे कोई पूछे की Active Fund में निवेश करते हैं या Passive Fund तो आपका जवाब क्या होगा? आज की तारीख में म्यूचुअल फंड में निवेश करना बहुत आसान है, KYC प्रक्रिया पूरा कर डीमेट खाता खुलवाकर सभी तरह की म्यूचुअल फंड स्कीमों में निवेश किया जा सकता है, परन्तु अधिकांश निवेशक ऐसे हैं जिन्हे एक्टिव फंड और पैसिव फंड के बारे में पता नहीं है.

एक्टिव फंड क्या है?

एक्टिव मतलब सक्रिय, एक्टिव फंड में निवेश को एक्सपर्ट यानी फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है, फंड मैनेजर अपने फिल्ड में माहिर होता है, कौन से शेयर में निवेश करना है और कब निवेश करना है कब किस शेयर से बाहर निकलना है इसकी रणनीति तैयार करता है, एक निवेशक के तौर पे यह फंड आपको इस लिए बेहतर लग सकता है क्योंकि इसे मैनेज करने के लिए इंडस्ट्री के एक्पसर्ट फंड मैनेजर्स बैठे हैं.

एक्टिव फंड में क्या है खास

एक्टिव म्यूचुअल फंड से बाजार की अपेक्षा अच्छे रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है क्योंकि यहाँ एक्सपर्ट काम करते हैं, हालांकि फंड मैनेजर्स एक्सपेंस रेशियों के रुप में फ़ीस चार्ज करते हैं, जोकि पैसिव फंड की तुलना में अधिक होता है, अधिक चार्ज इसलिए क्योंकि एक बड़े एक्सपर्ट का पैनल इसके पीछे काम करता है. आसान शब्दों में कहें तो एक्टिव फंड का मकसद बाजार इंडेक्स की तुलना में बेहतर परफॉर्म करना होता है, हालांकि इस बात की गारंटी नहीं है कि एक्टिव फंड में बेहतर जोखिम प्रबंधन हो, इक्विटी म्यूचुअल फंड, डेट म्यूचुअल फंड, हाइब्रिड फंड या फंड ऑफ फंड्स आदि एक्टिव फंड्स के अंतर्गत आते हैं.

पैसिव फंड क्या है?

कुछ समय से पैसिव फंड निवेश काफी तेजी से बढ़ा है, पैसिव फंड भी म्यूचुअल फंड में निवेश का एक तरीका है जो किसी सूचकांक या किसी खास बाजार सेगमेंट को ट्रैक करता है, पैसिव फंड में फंड मैनेजर तय नहीं करता की किन कंपनियों में निवेश किया जायेगा, पैसिव फंड में निवेश आसान नहीं है, अच्छे पैसिव फंड के लिए काफी शोध करना पड़ता है.

पैसिव फंड में क्या है खास

निवेश पैसिव फंड में निवेश तब करता है जब उसे बाजार के अनुरुप रिटर्न चाहिए होता है, पैसिव फंड को फंड मैनेजर द्वारा मैनेज नहीं किया जाता इसलिए इसकी निवेश लागत भी कम होती है, पैसिव फंड नए निवेशकों को काफी पसंद है खासकर युवा पीढ़ी, एक्टिव फंड में पैसिव फंड के मुकाबले उतार-चढ़ाव कम होता है, उन निवेशकों के लिए बढ़िया है जिनके पास मार्केट ट्रैक करने के लिए समय कम है, इंडेक्स फंड, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF). इसके अलावा गोल्ड, कमोडिटीज, बैंक, हेल्थकेयर समेत कई कैटेगरी के लिए ETF और इंडेक्स फंड पैसिव फंड के उदाहरण है.

दोनों फंड्स में अंतर

एक्टिव फंड में पैसा किन किन शेयरों में लगता चाहिए फंड मैनेजर तय करता है, लागत अधिक है, वहीं पैसिव फंड में Nifty 50, Sensex 30 जैसे सूचकांक में निवेश किया जाता है, फंड मैनेजर की भूमिका सिमित है, नतीजा लागत भी कम है, छोटे शहरों से अधिकांश निवेश पैसिव फंड में हो रहा है, अगर आप फंड सलेक्शन का झंझट नहीं पालना चाहते और, निवेश में नए है और रिस्क लेना नहीं चाहते तो पैसिव फंड को चुन सकते हैं.

Disclaimer : यह कोई निवेश सलाह नहीं है, जरुरी नहीं है की म्यूचुअल फंड योजनाएं अपना रिटर्न इतिहास दोहराएं अगर आप शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो सबसे पहले एक्सपर्ट से सलाह लें।

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